Sunshine Worldwide School

language educator

बदलाव
जब मैंने बचपन का पिटारा खोला ,
मेरा अतीत मुझसे आकर बोला
देखा, कितना बदल गई हो तुम समय के साथ,
लोग कहते हैं बदलाव अच्छा है, तुम्हें जीवन में नये गुर सिखाता है,
बदलाव ,जीने का तरीका बताता है ।
मैंने भी उम्र के साथ जीवन जीना सीखा है, कहीं पर बोलना तो कहीं पर चुप रहना सीखा है।
जिम्मेदारियां बढ़ने लगी जैसे-जैसे हम बड़े होने लगे,
गंभीरता के नाम पर अपनी हंसी खोने लगे,
जीवन में कुछ काम करना था ,
नाम मिला था मां-बाप से बस काम में अपना नाम करना था ।
बहुत कुछ बदल गया था मेरी तकदीर,मेरी उमर, मेरा वजन ,मेरा स्वभाव ,
पर एक चीज आज भी वैसा है शायद वह नहीं कर पाता है बदलाव,
मेरा दिल किसी के दर्द को अपना समझ लेता है आज भी
किसी की बातों में आकर बह जाता है
आज भी ।
कोई तब मूर्ख कहता और कहता है की कितनी अजीब हो तुम, दुनियादारी को समझ नहीं पाती हो ,
हर बार अलग-अलग लोगों पर भरोसा करती हो और हर बार ठगी जाती हो।
पर मेरा दिल पता है क्या कहता है ?भरोसा मैंने तो नहीं तोड़ा तो मैं क्यों पछताऊं?
किसी और की एहसानफरामोशी पर मैं क्यों आंसू बहाऊं ?
मैं आज भी वह संत हूं जो बिच्छू के डंसने पर भी अपना कार्य पूरा करता है ,
मेरे संस्कार ही ऐसे हैं जिसकी वजह से मेरा दिल सब पर भरोसा करता है,
सब पर भरोसा करता है।

Kajal Jha

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popup1

Demo Description


Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds